Thursday, January 9, 2014

Piles cure Delhi

Are You Scared Of Going To Toilet? Are You Not Able To Sit Comfortably? Is Fistula Discharge is Stopping Your Steps? Do You feel some Lump inside your Rectum ? Tired Of Operations Again & Again ? Are you a silent viewer of daily bleeding in stools? Is Fissure Pain & Burning of Daily Bleeding in Stools? Daily Pushing the Lumps back, Feeling Needle Pricking? Tired of taking useless & endless formulations for months & months
RELAX!!! STOP SUFFERING IN SILENCE
Over 60% of World Population Suffers from Hemorrhoids
Only 9% Seek Medical Help,but after chronic Stage
50% Women Don't discuss this Problem

Piles and Fistula Treatment By Parkash Medical Center
Piles and Fistula Treatment @prakashmedicalc is a Kshar-Sutra center speatialised for the Treatment fo Piles, Fistula-in-ano ,Fissures ,Rectal Polyp , anal condyloma etc. By Kshar-Sutra an Ayurvedic Surgical Process with High accuracy and Efficacy without any Side effects as compared to any other processes by other Medical processes.



Fissures acute and chronic












fissures ayurvedic treatment

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भगन्दर यानी Fistula ; Curable by Ayurvedic treatment


गुदा के मुकाम पर या रेक्टम के मुहाने  पर या near to ANUS wall के आस पास  यह बीमारी या तकलीफ होती है / सबसे पहले जब इस तकलीफ का आगाज होता है तो पाखाने के मुकाम पर पहले बड़ी खुजली होती है , जिसे खुजलाने में बड़ा मजा आता है और खुजलाने की न इच्छा होये हुये भी बार बार हाथ गुदा तक खुजलाने के लिये पहुच ही जाता है / कुछ दिन बाद इसी खुजली वाली जगह पर एक छोटी सी फुन्सी हो जाती है , जो पहले लाल हो जाती है फिर पकती है और पस से भरा हुआ एक छोटा सा बिन्दु बन जाता है / इसमे दर्द भी होता है, किसी किसी को दर्द नही होता है / अर्थात यह बिना दर्द के ्भी होता है , लेकिन ऐसा देखने में कम ही आता है /




edit
दर्द के होने पर लोग उपचार लेते हैं और फिर लापरवाह हो जाते हैं , इसलिये यह छोटा सा घाव धीरे धीरे जगह बना हुआ गुदा के अन्दरूनी छोर तक जा पहुचता है और फिर तकलीफ देन शुरु करता है / कई बार यह देखा गया है कि जैसा इस  घाव का मिजाज बाहर से अन्दर के रुख की वजह से बनता है तो ठीक उल्टा यह गुदा से बाहर की तरफ भी बनता है  / लोग इस स्तिथि मे अक्सर भ्रम में पड़ जाते हैं और वे समझते हैं कि शायद गुदा में दर्द अन्दरूनी बवासीर के कारण हो रहा है , जबकि यह भगन्दर के घाव के कारण होता है /

बहर हाल भगन्दर का इलाज जैसे ही पता चले, शुरू कर देना चाहिये / आयुर्वेद का इलाज और Homoeopathy तथा प्राकृतिक उपचार इस तीनों के समन्वित चिकित्सा व्यवस्था से भगन्दर अवश्य ठीक हो जाते हैं / लेकिन इसके लिये चिकित्सक चाहे वह अकेला हो जिसे तीनों चिकित्सा विग्यान का अनुभव हो या यह न हो सके तो  तीनों चिकित्सा विधाओं के experts से तालमेल करके चिकित्सा व्यवस्था अगर करते हैं तो भगन्दर अवश्य ठीक हो जाता है /

Surgical intervention से भगन्दर ठीक भी होते हैं और नही भी / कई बार कुछ साल ठीक होने के बाद फिर दुबारा तकलीफ हो जाती है , इसलिये सरजरी कराने का निर्णय मरीज की अपनी इच्छा पर निर्भर है /
Only and Only Kshar-Sutra is 100%  for fistula-in-ano.

अगर ETG AyurvedaScan परीक्षण रिपोर्ट पर आधारित डाटा को लेकर “भगन्दर” का औषधि और अन्य तरीके को शामिल करके इलाज करते हैं  , तो अव्श्य फायदा होता है /

आयुर्वेद का क्षार सूत्र अथवा क्षार कर्म द्वारा भी भगन्दर का सटीक इलाज हो जाता है, इसके लिये किसी expert क्षार सूत्र चिकित्सक की सेवायें लेना चाहिये

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बवासीर या हैमरॉइड से अधिकतर लोग पीड़ित रहते हैं। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और खान-पान है। बवासीर में होने वाला दर्द असहनीय होता है।


बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है।

बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार
डेढ़-दो कागज़ी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। 10-15 मिनट के अंतराल के बाद थोड़ी देर में इसे लेते रहिए उसके बाद शौच जायें। यह प्रयोग 4-5 दिन में एक बार करें। इसे 3 बार प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता है ।

हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है।
नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेली की 4-5 बूंद रोज़ पीने से बवासीर में लाभ होता है।
करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह छांछ पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करेने से मस्सा ठीक हो जाता है।
इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता।
Address : Prakash Medical Centre      46, Abhay Khand-1, Near police Chowki,     Indirapuram Ghaziabad Delhi/NCR Phone No. : 0120-6569466 Mobile No. : +91 99 1154 5635 Email : dr.amit_s@yahoo.com Website : www.pilesfistulacure.in 

बवासीर के उपचार के लिये आयुर्वेदिक औषधि अर्शकल्प वटी का प्रयोग चिकित्सक की सलाह अनुसार कर सकते हैं
Photo: बवासीर या हैमरॉइड से अधिकतर लोग पीड़ित रहते हैं। इस बीमारी के होने का प्रमुख कारण अनियमित दिनचर्या और खान-पान है। बवासीर में होने वाला दर्द असहनीय होता है। 


बवासीर मलाशय के आसपास की नसों की सूजन के कारण विकसित होता है। बवासीर दो तरह की होती है, अंदरूनी और बाहरी। अंदरूनी बवासीर में नसों की सूजन दिखती नहीं पर महसूस होती है, जबकि बाहरी बवासीर में यह सूजन गुदा के बिलकुल बाहर दिखती है। 

बवासीर के आयुर्वेदिक उपचार
डेढ़-दो कागज़ी नींबू अनिमा के साधन से गुदा में लें। 10-15 मिनट के अंतराल के बाद थोड़ी देर में इसे लेते रहिए उसके बाद शौच जायें। यह प्रयोग 4-5 दिन में एक बार करें। इसे 3 बार प्रयोग करने से बवासीर में लाभ होता है ।

हरड या बाल हरड का प्रतिदिन सेवन करने से आराम मिलता है। अर्श (बवासीर) पर अरंडी का तेल लगाने से फायदा होता है। 
नीम का तेल मस्सों पर लगाइए और इस तेली की 4-5 बूंद रोज़ पीने से बवासीर में लाभ होता है।
करीब दो लीटर मट्ठा लेकर उसमे 50 ग्राम पिसा हुआ जीरा और थोडा नमक मिला दें। जब भी प्यास लगे तब पानी की जगह यह छांछ पियें। चार दिन तक यह प्रयोग करेने से मस्सा ठीक हो जाता है। 
इसबगोल भूसी का प्रयोग करने से से अनियमित और कड़े मल से राहत मिलती है। इससे कुछ हद तक पेट भी साफ रहता है और मस्सा ज्यादा दर्द भी नही करता।

बवासीर के उपचार के लिये  आयुर्वेदिक औषधि अर्शकल्प वटी का प्रयोग चिकित्सक की  सलाह अनुसार कर सकते हैं
www.pilesfistulacure.in

Fissure-in-Ano: Ayurveda approach.गुदा विदार का आयुर्वेदिक समाधान ।